Chikungunya Symptoms in Hindi
Health | Posted by 365Doctor | 17-03-2022 | Comments
चिकनगुनिया कारण लक्षण और इलाज
चिकनगुनिया Chikungunya in hindi एक ऐसी बीमारी है जो पहली बार अफ्रीका महादेश के तंजानिया नामक देश में पाई गई थी और अभी पूरे विश्व में फैल चुकी है प्रत्येक वर्ष लोग इसकी वजह से मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं यह वायरस जनित बीमारी है और यह एडीज मच्छरों के काटने से होता है यह एडिज मच्छर में पाए जाने वाले आर्बो वायरल की वजह से होता है जो अल्फावायरस परिवार के होते हैं यह डेंगू रोग की तरह ही लगभग माना जाता है और उतना ही खतरनाक माना जाता है।
इस रोग को शरीर मे आने के बाद 3 से 5 दिन के समय फैलने मे लगता है, रोग के लक्षणों मे ज्वर, धड और फिर हाथों पैरों पे चकते बन जाना, शरीर के विभिन्न जोडों मे पीडा होना शामिल है इसके अलावा सिरदर्द, उजाले से भय लगना, आँखों मे पीडा शामिल है। ज्वर आम तौर पर दो से ज्यादा दिन नहीं चलता है तथा अचानक समाप्त होता है, लेकिन अन्य लक्षण जिनमें अनिद्रा तथा निर्बलता भी शामिल है आम तौर पर 5 से 7 दिन तक चलतें है रोगियों को लम्बे समय तक जोडों की पीडा हो सकती जो उनकी उम्र पर निर्भर करती है। मूल रूप से यह रोग उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा एशिया मे पनपता है जहाँ यह रोग एडिस प्रजाति के मच्छर मानवों मे फैलाते है। किंतु मानव सहित अन्य प्रजाति भी इस से प्रभावित हो सकती है।।
इस रोग के विरूद्ध बचाव का सबसे प्रभावी तरीका रोग के वाहक मच्छरों के संपर्क मे आने से बचना है इस हेतु उन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए जिनसे मच्छर दूर भाग जाते है उदाहरण हेतु ओडोमोस लम्बी बाजू के कपडे तथा पतलून पहन लेने से, कपडों को पाइरोर्थोइड से उपचारित करने से, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती लगा लेने, जालीदार खिडकी दरवाजों के प्रयोग से भी लाभ होता है किंतु घर से बाहर होने वाले संक्रमण से बचने हेतु मच्छर आबादी नियंत्रण ही सबसे प्रभावी सस्ता एवं अच्छा तरीका है।
इस रोग का कोई उपचार नहीं है, ना ही इसके विरूद्ध कोई टीका मिलता है। सिर्फ एक अनुसंधान जिसे अमेरिकी सरकार से पैसा मिला है जो चल रहा है। चिकनगुनिया के विरूद्ध एक सीरोलोजिकल परीक्षण उपलब्ध है जिसे मलाया विश्वविधालय कुआलालापुंर मलेशिया ने विकसित किया है। क्लोरोक्वीन इस रोग के लक्षणों के विरूद्ध प्रभावी औषधि सिद्ध हो रही है इसका प्रयोग एक एण्टीवायरल एजेंट के रूप मे हो सकता है। पीडा की दशा जो गठिया के समान होती है तथा जो एस्परीन से समाप्त नही की जा सकती है को क्लोरोक्वीन फास्फेटकी खुराक से सही किया जा सकता है मलाया विश्वविधालय के इस अध्ययन की पुष्टि इटली तथा फ्रांस सरकार के रिपोर्ट भी करते है। इस रोग के आंकडें बताते है कि एस्परीन,इबूफ्रिनतथानैप्रोक्सीन जैसी औषधिया असफल रहती है। रोगी यदि हल्की फुल्की कसरत करे तो उसे लाभ मिलता है। किंतु भारी कसरत से पीडा बढ जाती है अस्थि पीडा 8 मास बाद तक बनी रहती है, केरल में लोगों द्वारा शहद-चूना मिश्रण प्रयोग किया है कुछ लोगों को कम मात्रा मे हल्दी प्रयोग से भी लाभ होता देखा गया है।
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