Psoriasis Meaning in Hindi
Health | Posted by 365Doctor | 06-04-2022 | Comments
छाल रोग या सोरायसिस
प्रत्येक मानव शरीर के ऊपर त्वचा एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में उसके ऊपर आवरण के रूप में मनुष्य को एक आकार देती है जिसकी वजह से वह सुंदर लग पाता है और एक सुगठित ढांचे में डाल पाता है और मानव इसके लिए प्रयास भी करता रहता है कि उसकी त्वचा स्वस्थ और सुंदर लगे ताकि देखने में वह आकर्षक लगे ।
Psoriasis in hindi
- किंतु जब कभी यही त्वचा किसी रोग के संपर्क में आ जाती है तो उसकी वजह से मानव की त्वचा खराब हो जाती है या संक्रमण हो जाती है जिसकी वजह से उसको सुंदर लगने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना होता है। और ऐसे बहुत सारे त्वचा के रोग होते हैं जैसे की egzima दाद खुजली इत्यादि।
- आज हम त्वचा के रोग के बारे में ही एक अन्य और गंभीर बीमारी के बारे में बात करने वाले हैं जिसका नाम छाल रोग या सोरायसिस के रूप में हम से जानते हैं इसको एक अन्य नाम अपरस के रूप में भी जाना जाता है जिसे हम अपरस बोलते हैं।
- यह भी एक प्रकार का चर्म रोग होता है और असंक्रामक होता है इसका संक्रमण दूसरे व्यक्तियों को नहीं फैलता है किंतु यह दीर्घकालिक होता है अर्थात यह वर्षों तक चलते रहते हैं यह एक गंभीर त्वचा विकार होता है जो कि आनुवांशिक रूप से परिवारों के बीच चलता रहता है इसमें लाल खुर्द धब्बे बन जाते हैं जो वर्षों तक मानव की त्वचा पर बने रहते हैं जिनमें खुजली होती है और चकत्ते पड़ जाते हैं तथा यह स्त्री एवं पुरुष दोनों को समान रूप से हो जाते हैं अर्थात इन में कोई भेद नहीं है और इस तरह से हम छाल रोग को परिभाषित कर सकते हैं।
यदि इसके होने के कारणों को हम देखते हैं तो पाते हैं कि यह दो कारणों से होता है
पहला वंशानुगत और
दूसरा स्वतः प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से।
- अब हम देखते हैं कि इसकी पहचान कैसे की जाती है क्योंकि दाद भी इसी आकार का होता है किंतु दाद में गोल गोल रिंग जैसे आकार के धब्बे पड़ जाते हैं जबकि छाल रोग में यह रिंग बड़े आकार की होती है और पूरे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं अर्थात मनुष्य के पेट पीठ सर पैर जांघ इत्यादि लगभग सभी स्थानों पर इनकी पहचान हमें कराते हैं कि इनमें लाल खुरदरी धब्बे हो जाते हैं जिनमें त्वचाचा कोशिकाएं काफी अधिक मात्रा में बढ़ जाती है जो कि पुरानी होकर झड़ने लगती है और इस नई त्वचा के आने में और उसे झड़ने में लगभग 4 सप्ताह का समय लगता है इसी कारण से मानव के शरीर में घाव हो जाते हैं और उसमें खुजली होने लगती है तथा शरीर की स्किन में चिट्कन पैदा हो जाती है जैसे कि उसमें चिटकन हो जाता है तथा हाथ और पैर के तलवों में फफोले पड़ने लगते हैं तथा पूरे शरीर में बड़े-बड़े चकत्ते पड़ जाते हैं।
- हालांकि यह रोग संक्रामक नहीं होता है अर्थात एक मानव से दूसरे मानव में नहीं फैलता है किंतु यह अनुवांशिक रूप से एक परिवार के बीच में चल या रह सकता है।
आइए देखते हैं कि सोरायसिस से हम किस प्रकार बच सकते हैं।
- 1-सबसे पहला काम तो आपको योग्य स्किन के डॉक्टर से मिलना चाहिए जो आपको समुचित दवाएं देगा इनकी वजह से आप एक लंबे अंतराल का से इसका सेवन करने के बाद आपको सोरायसिस से मुक्त हो सकते हैं।
- 2- इसके बाद आपको धूप से बचाव बहुत आवश्यक है क्योंकि जब आप धूप में जाते हैं तो आपकी स्किन एलर्जी कल हो जाती है और उसमें खुजली होने लगती है क्योंकि जब पसीना होगा तो खुजली होगी और फिर उसके बाद वह जब आप खुजलायेंगे तो उस में घाव हो जाएगा इसलिए आपको धूप में जाने से बचना है।
- 3-यदि आप मद्यपान और धूम्रपान के आदी हैं तो बिल्कुल ही इस आदत को छोड़ दीजिए क्योंकि यह आप की लत आपके शरीर में सोरायसिस को बढ़ावा दे सकती है।
- 4- ऐसी औषधियों का सेवन बिलकुल न करें जो स्थिति को और खराब कर सकती हो यानी कि आपके सोरायसिस को और बढ़ा सकती हो।
- 5- इसके साथ-साथ आपको तनाव से भी बचना है क्योंकि तनाव अवसाद या चिंता की अवस्था भी आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और आपके इस रोक को बढ़ावा दे सकती है।
- 6-पानी से बचाव भी बहुत महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यदि आप पानी के संपर्क में आते हैं तो भी इसको बढ़ने का पर्याप्त मौका मिल जाता है और इसलिए जितना हो सके पानी से दूरी बनाकर रखें।
- 7- यदि आपको खुजली हो तो आपको चाहिए कि आप घाव को खुजली नहीं करे बल्कि डॉक्टर से कोई खुजली वाली क्रीम लेकर उसको लगा ले अन्यथा आपको घाव हो सकते हैं।
- 8-आपको अपने शरीर पर ऐसे वस्त्र पहने हैं जो आपके रोग के अनुकूल हो अन्यथा कुछ ऐसे कपड़े भी हैं जो आपको पहनने पर इस रोग को और भी बढ़ावा दे सकते हैं इसलिए सदैव सूती और हल्के वस्त्र का उपयोग किया जाना चाहिए।
- 9- इसके साथ साथ स्वस्थ एवं हेल्थी भोजन भी आपके रोग के लिए बहुत ही आवश्यक है क्योंकि जब आप स्वस्थ और हल्दी भोजन खाते हैं तो यह आपके शरीर में आपको ऊर्जा देने का कार्य करते हैं तथा आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाते हैं हालांकि रोगी को कुछ भी खाने की मनाही नहीं है वह जो भी उसको उत्तम आहार लगे वह खा सकता है।
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