IVF in Hindi
Medicine in Hindi | Posted by 365Doctor | 21-07-2023 | Comments
कैसे कराएं आईवीएफ? जानें आईवीएफ की संपूर्ण जानकारी- IVF in Hindi
अमोल की नई-नई शादी हुई थी और उसके बाद जब उस शादी-शुदा जोड़े ने घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लिया तो सभी ने उन्हें यही आशीर्वाद दिया, कि वे उन्हें जल्द-से-जल्द खुशखबरी सुनाएं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे -वैसे परिवार वालों की नन्हें मेहमान की इच्छा भी बढ़ती गई।
लेकिन, जब काफी समय तक घर में कोई कलकारी नहीं गूंजी, तब परिवार के सभी सदस्य परेशान हो गए और इसके साथ में आस-पड़ोस के लोग भी तरह-तरह की बातें करने लगें। अत: इन सभी चीजों की वजह से अमोल और उसकी पत्नी काफी तनाव में रहने लगें। अमोल ने इस समस्या के बारे में अपने जान-पहचान के डॉक्टर से बात की और उन्होंने उन दोनों को अपने क्लीनिक पर बुलाया। वे दोनों उनके क्लीनिक पर चले गए और वहां पर काफी टेस्ट कराने के बाद उन्हें इस बात का पता चला कि उनके मां-बाप न बनने का मुख्य कारण इनफर्टिलिटी (बांझपन) है और डॉक्टर ने उन्हें आईवीएफ (IVF) कराने की सलाह थी।
चूंकि, अमोल और उसकी पत्नी के लिए आईवीएफ के लिए बिल्कुल नया शब्द था, जिसकी उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी, इसी कारण वे इसे कराने से झिझक रहे थे। यदि, आप भी इस तकनीक के बारे में अधिक नहीं जानते हैं तो आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें हमने आईवीएफ की पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है।
Table of Contents
क्या है आईवीएफ? (What is IVF / Test Tube Baby-In Hindi)
आईवीएफ का पूरा नाम इन व्रिटो फर्टिलिटेशन (In vitro Fertilization) है और इस तकनीक से जन्म लेने वाले बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।
यह ऐसी तकनीक है, जिसमें प्रयोगशाला में पुरूष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु को मिलकर भ्रूण (embro) बनाया जाता है और उस भ्रूण को कृत्रिम तरीके से जरूरतमंद महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, ताकि वह गर्भधारण कर सके। जब कोई दंपत्ति बच्चा पैदा नहीं कर पाता है, तब सभी लोग इसका दोष महिला को ही देते हैं और उसे ‘बांझ’ कहकर ताना मारते हैं, लेकिन, ऐसा करना बिल्कुल गलत है क्योंकि अगर किसी दंपत्ति के बच्चा न होने का कारण पुरूष भी हो सकता है। ऐसा पुरूष बांझपन (Male Infertility) के कारणवश भी हो सकता है, जिसका संबंध उसके पिता बनने की असमर्थता से है।
‘बांझपन’ ऐसी समस्या है, जो पुरूष और महिला दोनों को हो सकती है, जो बच्चे के जन्म को प्रभावित करती है। इस प्रक्रिया का फैसला लेने से पहले पुरूष और महिला दोनों के बहुत सारे टेस्ट किए जाते हैं। आईवीएफ प्रणाली में मेल फर्टिलिटी (पुरूष बांझपन) और फीमेल फर्टिलिटी (महिला बांझपन) की जांच की जाती है। जिसमें पुरूष के वीर्य (सीमेन) विश्लेषण किया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर फीमेल फर्टिलिटी में महिला के हॉर्मोन समस्या, ओवुलेशन अनियमितताओं इत्यादि के कारणों का पता लगाया जाता है। इन टेस्टों से संतान न होने के कारण का पता लगाया जाता है।
IVF/टेस्ट ट्यूब बेबी को कराने की सलाह कब दी जाती है? (When IVF/Test Tube Baby are suggested)
चूंकि, प्रत्येक दंपत्ति का सपना मां-बाप बनना होता है इसलिए जब वे मां-बाप नहीं बन पाते हैं, तो वे संतान सुख प्राप्त करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं। लेकिन, दुर्भाग्यवश जब किसी भी कारण से वे मां-बाप नहीं बन पाते हैं, तो फिर किसी बेहतर माध्यम की तलाश करते हैं, जिनके द्वारा वे मां-बाप बन सकें।
हालांकि, इस समस्या का समाधान आईवीएफ के द्वारा संभव है, लेकिन फिर भी डॉक्टर उन्हें दंपत्तियों को आईवीएफ को अपनाने की सलाह देते हैं, जो इन 5 समस्याओं से पीड़ित होते हैं-
1- किसी महिला का शादी के एक साल तक असुरक्षित संभोग करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाना।
2- किसी महिला का अनियमित रूप से मासिक धर्म न होना।
3- पुरूष के स्पर्म की सामान्य मात्रा (15-20 प्रति एम.एल) से कम मात्रा में बनना, जो महिला को गर्भधारण कराने में समर्थ नहीं होते हैं।
4- पुरूष और महिला का अधिक उम्र का होना।
5- महिला के गर्भाशय में रसौली होना।
किसी महिला को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम): इस स्थिति में महिला के हॉर्मोन स्तर कम हो जाता है। इस बीमारी से पीड़ित महिला के फॉलिकल में एग विकसित नहीं हो पाते हैं।
आईवीएफ कराने के बाद गर्भावस्था के लक्षण क्या है? (Signs of Pregnancy After IVF (In Vitro Fertilization)-Hindi)
आईवीएफ के बाद गर्भावस्था के बहुत सारे लक्षण होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
1- जब आईवीएफ प्रक्रिया/ टेस्ट ट्यूब बेबी के तरह भ्रूण को गर्भधारण करने वाली महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
2- उसके कुछ समय के बाद उस महिला के प्रेगेंसी टेस्ट किया जाता है।
3- अगर इससे उसके गर्भवती होने की संतुष्टि हो जाती है, तब उसके लगभग 15 दिनों के बाद वह गर्भधारण कर सकती है।
4- उसके 9 महीनों के बाद उसे संतान प्राप्ति हो जाती है।
आईवीएफ/ टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया को कैसे किया जाता है? ( IVF Process/Test Tube Baby Procedure)
आईवीएफ प्रक्रिया में निम्नलिखित क्रम शामिल होते हैं-
स्टेप 1: मासिक धर्म को रोकना: इस प्रक्रिया में सबसे पहले महिला को कुछ दवाइयां देकर उसके मासिक धर्म को रोका जाता है क्योंकि यह उसके गर्भधारण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
स्टेप 2: अंडे की आपूर्ति को बढ़ाना : इस प्रक्रिया के शुरू होने के कुछ दिन पहले से ही महिला को फर्टिलिटी ड्रग दिए जाते हैं ताकि उसके गर्भाशय में अधिक अंडे विकसित हो सकें। इनके निर्माण पर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से निगरानी रखी जाती है।
स्टेप 3: अंडो को निकालना: जब अंडे पूरी तरह से बन जाते हैं तो उन्हें विशेष सुइयों से निकाला जाता है, इस प्रक्रिया को एग रिट्रीविंग कहा जाता है, जिसे अल्ट्रासांउड की सहायता से किया जाता है।
स्टेप 4:अंडे और स्पर्म को मिलाना: इस प्रक्रिया में विकसित अंडो को पुरूष के स्पर्म से मिलाया जाता है, इसे फर्टिलाइजेशन कहा जाता है। इनसे बने भ्रूण (एम्ब्रो) को संभाल कर रखा जाता है और उन्हें 3 से 5 दिनों तक मॉनिटर किया जाता है।
स्टेप 5: भ्रूण ट्रांसफर: इस भ्रूण को उस महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, जिसे गर्भधारण करना है।
कभी-कभी इस भ्रूण को भविष्य के लिए संभाल कर रखा जाता है, जिसे एम्ब्रो फ्रीजिंग कहा जाता है। ताकि इसका उपयोग जरूरत पड़ने पर किया जा सके।
दिल्ली-NCR में आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्च कितना है? (IVF Cost in Hindi)
जब कोई दंपत्ति आईवीएफ कराने का फैसला लेता है, तो उसे यह पता लगाना चाहिए कि दिल्ली-NCR में टेस्ट ट्यूब बेबी का खर्चा कितना होता है:
1- चूंकि, आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी में बहुत सारे टेस्ट किए जाते हैं इसलिए इसका खर्चा मुख्य रूप से इन टेस्टों पर निर्भर करता है।
2- आईवीएफ केंद्र कई शहरों में मौजूद हैं और इन सभी केंद्रों में आईवीएफ की अलग-अलग लागत है।
उदाहरण के लिए- दिल्ली (95 हजार से 1.5 लाख रूपये), मुम्बई (2 से 3 लाख रूपये), बैंगलौर (1.60 लाख से 1.75 लाख रूपये) और चैन्नई (1.45 लाख से 1.60 लाख रूपये) में अनुमानित लागत है।
हालांकि, आईवीएफ की लागत विभिन्न आईवीएफ हॉस्पिटलों में अलग-अलग होती है, फिर भी आप अपने बजट के हिसाब से किफायदी आईवीएफ प्रणाली का चयन कर सकते हैं।
आईवीएफ के बाद कौन-सी सावधानियां अपनाएं? (Precautions after IVF-Hindi)
आईवीएफ काफी लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें बहुत सारे स्तर होते हैं, ऐसे में सभी लोगों को अर्थात् डोनर, गर्भधारण करने वाली महिला, पुरूष इत्यादि को हर स्तर पर सावधानी बरतनी चाहिए। चूंकि, इस प्रक्रिया से अंत में गर्भधारण करनी वाली महिला प्रभावित होती है, ऐसे में उसे अपना पूरा ख्याल रखना चाहिए।
अगर आपने हाल ही में आईवीएफ कराया है, तो आपको इन 5 सावधानियों को अपनाना चाहिए:
1- यौनिक गतिविधि करने से बचें: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह की यौनिक गतिविधियों को न करें क्योंकि ऐसा करने से महिला के अंडाशय पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
2- कोई भी भारी वस्तु को न उठाएं: इस अवधि में आपको अपना पूरा ध्यान रखना चाहिए जैसे किसी भी भारी वस्तु को न उठाएं इसके लिए आप अन्य लोगों की सहायता ले सकते हैं।
3- भारी व्यायाम न करें: हालांकि, आईवीएफ में जल्दी से सुधार करने के लिए आप व्यायाम कर सकती हैं, लेकिन आपको भारी व्यायाम करने से बचना चाहिए।
4- अत्याधिक कैफीन वाली चीजों का सेवन न करें: इस पूरे दौर में आपको अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, आपको ऐसे पेय पदार्थों को सेवन करने से बचना चाहिए, जिसमें अधिक मात्रा में कैफीन हो।
5- ज्यादा थकाने वाले घरेलू काम न करें: अगर आप आईवीएफ प्रणाली से जुड़ी हुई हैं तो जब तक आप पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती हैं तब तक आपको अपना पूरा ख्याल रखना चाहिए और ऐसे किसी भी घरेलू काम को नहीं करना चाहिए, जिससे आपको थकान महसूस हो।
6- नशीले पदार्थों का सेवन न करें: चूंकि, आईवीएफ से गर्भपात का खतरा होता है, इसलिए इससे बचने के लिए आपको किसी भी तरह के नशीले पदार्थों जैसे शराब के सेवन से बचना चाहिए।
7- ध्रूम्रपान न करें: ऐसा कहा जाता है कि जो महिला धूम्रपान करती हैं, उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी होती है। यह बात आईवीएफ प्रणाली से जुड़ी महिला के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है। अत: इस दौर में किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए आपको धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
8- ज्यादा देर तक धूप में न रहें: हालांकि, धूप सेहत के लिए अच्छी होती है क्योंकि इससे हमें विटामिन डी मिलता है। लेकिन, आईवीएफ प्रणाली से जुड़ी महिला के लिए ज्यादा समय तक धूप में रहना नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि इससे वे थका हुआ महसूस कर सकती है या फिर उनकी त्वचा पर बुरा असर पड़ सकता है।
9- तैराकी करने से बचें: तैराकी ऐसी गतिविधि है, जिसमें आपको पूरे शरीर की कसरत होती है और ऐसे में गर्भधारण करने वाली महिला के लिए पूरे शरीर को जोर देना नुकसानदेह हो सकता है। अत: उसे अपनी गर्भवस्था के दौरान तैराकी करने से बचना चाहिए।
10- कुछ दिनों तक न नहाएं: जब आप आईवीएफ प्रणाली के दौर में होती हैं तो आपको यह कोशिश करनी चाहिए कि आपके पेट के निचले हिस्से पर किसी भी तरह का स्पर्श न हो क्योंकि इसका असर आपके कोख में पल रहे बच्चे पर हो सकता है। अत: किसी भी तरह के खतरे से बचने के लिए कुछ दिनों तक न नहाना ही बेहतर होता है।
11- गर्भनिरोधक दवाईयां न लें: आईवीएफ प्रणाली में किसी भी तरह की दवाईयों का सेवन नहीं करना चाहिए, इनका आपके शरीर पर बुरा असर हो सकता है। ऐसे में आपको गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न कर सकती है।
आईवीएफ के जोखिम क्या हैं? (Risks of IVF-in Hindi)
भले ही आईवीएफ ने बहुत सारे दंपत्तियों के जिदगी को खुशियों से भर दिया है और यह इन दिनों काफी प्रसिद्ध हो गई है। जब किसी दंपत्ति को लाख कोशिशों के बाद भी संतान सुख नहीं मिल पाता है, तब उनकी आखिरी उम्मीद आईवीएफ ही होती है। वे बड़ी उम्मीद से इसे कराते हैं, जिसमें उन्हें बहुत सारे पैसे खर्च करने पड़ते हैं, वे इसमें काफी समय लगाते हैं और उन्हें इसमें काफी सावधानी बरतनी पड़ती है।
इन सब विशेषताओं के बावजूद आईवीएफ काफी कष्टदाय प्रक्रिया है, जिसके बहुत सारे जोखिम होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1- आईवीएफ में गर्भधारण करने वाली महिला को बहुत सारी दवाईयां दी जाती हैं, जो उनकी प्रतिरक्षा शक्ति को प्रभावित करती हैं।
2- उन्हें मूड स्विंग की समस्या हो सकती है।
3- उन्हें सिरदर्द हो सकता है।
4- उन्हें बैचेनी हो सकती है।
5- उन्हें बहुत सारी बीमारियों जैसे हाई बल्ड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि का खतरा हो सकता है।
6- गर्भपात का खतरा हो सकता है।
7- इससे समयपूर्व प्रसव (प्रीमैच्योर डिलीवर) होने का भी खतरा होता है।
8- पेट के निचले हिस्से में सूजन या दर्द हो सकता है।
9- कमजोरी महसूस होना।
10- योनि से रक्तस्त्राव होना।
11- गर्भ में एक से अधिक भ्रूण को हस्तांतरित करने से जुड़वा बच्चे होने का खतरा हो सकता है।
12- आईवीएफ में किसी भी तरह की संक्रमित बीमार के फैलने का जोखिम होता है।
क्या है आईवीएफ केंद्र? (What is IVF Centre?-Hindi)
1- आईवीएफ केंद्र वह जगह होती है, जहां पर पुरूष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के एग (अंडाणु) को मिलाया जाता है।
2- यहां पर उस गर्भ का निर्माण किया जाता है, उसे गर्भधारण करने वाली महिला के गर्भाशय में कृत्रिम तरीके से डाला जाता है।
आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी की कितनी सफलता दर है? (Success rate of IVF-Hindi)
आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की सफलता निम्नलिखित तत्व निर्भर करता है:
1- उम्र: जिन महिलाओं की शादी सही समय पर हो जाती है अर्थात् 25 उम्र के आस-पास तो उनकी फर्टिलिटी अधिक होती है, तो इस स्थिति में उनका गर्भपात होने की अधिक संभावना होती है। लेकिन, जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उनकी फर्टिलिटी में भी कमी हो जाती है और उनके लिए गर्भधारण करना भी मुश्किल हो जाता है।
2- इनफर्टिलिटी के कारण: आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता दंपत्तियों की फर्टिलिटी पर निर्भर करती है। अगर पुरूष के स्पर्म सही मात्रा में विकसित नहीं हो पाते हैं या फिर महिला के एग अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं तब उन्हें गर्भधारण नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी में उनकी इनफर्टिलिटी के कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
3- जीवन- शैली: किसी भी व्यक्ति के जीवन जीने का तरीका उसकी सेहत को प्रभावित करता है। ऐसे में अगर कोई दंपत्ति का खान-पान, सोने या उठने का समय इत्यादि सही नहीं हैं, तो ये उनकी आईवीएफ प्रक्रिया/ टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की सफलता को प्रभावित करते हैं।
4- आईवीएफ क्लीनिक: अगर आप आईवीएफ कराने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले सही आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी क्लीनिक की तलाश करनी चाहिए, इसके लिए आप दिल्ली-NCR के सबसे अच्छे आईवीएफ क्लीनिक को इंटनेट से चुन सकते हैं।
5- आकंडे: भारत में आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया औसतन रूप से 70- 80 प्रतिशत तक सफल रहती है, जो किसी भी अन्य देशों की तुलना काफी अधिक है। इन दिनों बहुत सारे सेलिब्रिटी मां-बाप बनने के लिए कई सारी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हैं।
उनमें से ही एक आईवीएफ/टेस्ट ट्यूब बेबी भी है, जिसे इनफर्टिलिटी का इलाज करने के लिए किया जाता है।
इनफर्टिलिटी से तात्पर्य उस तत्व से है, जो किसी विवाहित दंपत्तियों को मां-बाप बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईवीएफ प्रक्रिया में महिला के अंडाणु और पुरूष के शुक्राणु को उस महिला के गर्भ में डाला जाता है, जो गर्भधारण करना चाहती है। चूंकि, कई सारे लोगों को आईवीएफ से संबंधित आवश्यक जानकारी जैसे क्या है आईवीएफ प्रक्रिया इत्यादि की जानकारी नहीं होती है, इसलिए वे मां-बाप नहीं बन पाते हैं।
इस प्रकार हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा क्योंकि हमने इस लेख में आईवीएफ की आवश्यक जानकरी दी है।
सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’S)
Q1. IVF प्रेगनेंसी क्या है?
Ans- IVF मेडिकल साइंस में विकसित ऐसा ज़रिया है, जिसका लाभ निसंतान दंपतियों को मिलता है।
इस विधि का इस्तेमाल उस स्थिति में किया जाता है, जब विवाहित जोड़े (married couples) को तमाम कोशिश के बावजूद बच्चा नहीं हो पाता है।
Q2. IVF को कैसे किया जाता है?
Ans- IVF की पूरी प्रक्रिया को दवाई और सर्जरी की सहायता से किया जाता है। इसमें पुरूष के शुक्राणु (sperm) और महिला के अंडाणु (egg) को निकालकर, उनसे प्रयोगशाला में भ्रूण (embryo) का निर्माण किया जाता है।
इसके बाद में, भ्रूण को उस महिला के गर्भाशय (uterus) में डाल दिया जाता है, जो मां बनना चाहती है।
Q3. IVF की सफलता दर कितनी है?/ IVF से प्रेग्नेंट होने की संभावना कितनी रहती है?
Ans- IVF चुनने वाली ज्यादातर महिलाओं को 20-25% प्रति चरण (per cycle) की सफलता महसूस होती है, जो चरण दर चरण बढ़ती चली जाती है।
अंत में IVF के सभी चरण समाप्त होने पर इससे गर्भवती होने की संभावना 40-45% तक बढ़ जाती है।
Q4. IVF चुनने के कारण क्या हैं?
Ans- IVF को चुनने के काफी सारे कारण हैं, जिनमें मुख्य रूप से संतान सुख मिलना, स्त्री रोग का इलाज होना इत्यादि शामिल हैं।
Q5. IVF को किस उम्र में कराया जा सकता है?
Ans- कोई भी महिला IVF को मुख्य रूप से 40 साल के बाद ही करा सकती है क्योंकि तब तक उसके गर्भ धारण की संभावना रहती है।
इसके अलावा, एग डोनर की उम्र 45 या उससे अधिक हो सकती है।
Q6. IVF की कीमत कितनी है?
Ans- IVF की कीमत कई सारे तत्वों पर निर्भर करती है, जिनमें शहर, अस्पताल, चरणों की संख्या इत्यादि शामिल हैं।
यदि केवल दिल्ली-NCR की बात की जाए तो यहां पर इसकी कीमत 95 हजार से 1.5 लाख रूपये तक है।
Q7. क्या IVF से जन्मे बच्चे सामान्य होते हैं?
Ans- जी हां, IVF से जन्मे बच्चे पूरी तरह से सामान्य होते हैं।
हालांकि, कुछ लोगों में IVF को लेकर काफी सारी दुविधाएं रहती है, जिनके चलते उन्हें इस प्रक्रिया से जन्मे बच्चों को लेकर गलतफहमी हो सकती है, लेकिन IVF के मामलों में बच्चे सेहतमंद पाए गए हैं।
Comments
Be the first to post a comment