Sperm Donation in Hindi
Medicine in Hindi | Posted by 365Doctor | 21-07-2023 | Comments
जानें क्या है स्पर्म डोनेशन और इसे कैसे करें Sperm Donation in Hindi
हर एक व्यक्ति का यह सपना होता है कि उसका अपना एक खुशहाल परिवार हो। सभी लोग यह चाहते हैं कि उनके घर में बच्चों की किलकारियां गूजे। लेकिन, जब किसी दंपत्ति को संतान सुख नहीं मिलता है तो उसके लिए इससे बड़ा और कोई दुख नहीं होता है और वह इसे दूर करने के लिए हर संभव कोशिश करता है।
आमतौर पर, किसी दंपत्ति के मां-बाप न बनने का दोष महिला को ही दिया जाता है, लेकिन कई बार इसका कारण पुरूष भी होता है, क्योंकि बच्चे के जन्म में महिला और पुरूषों का योग्यदान अपेक्षित है।
वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार जब किसी पुरूष का शुक्राणु (Sperm) महिला के अंडाशय में प्रेवश करके अंडाणु (Egg) का निर्माण करता है, तब किसी बच्चे का जन्म होता है। लेकिन, जब किसी पुरूष में स्पर्म पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता है, उसे पुरूष बांझपन (Male Infertility) कहा जाता है।
चूंकि,अधिकांश पुरूष इस पर ध्यान नहीं देते हैं, इसी कारण वे इसका सही इलाज नहीं करा पाते है, लेकिन, यदि उन्हें स्पर्म डोनेशन की जानकारी होती, तो शायद वे भी बाप बनने का सुख प्राप्त कर पातें।
यदि आप भी इस प्रक्रिया से अनजान हैं, तो आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें हमने इसमें स्पर्म डोनेशन की आवश्यक जानकारी देने की कोशिश की है।
स्पर्म क्या है? (What is Sperm? – in Hindi)
स्पर्म को शुक्राणु के नाम से भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य ऐसी कोशिका से है, जिसके द्वारा किसी बच्चे का जन्म होता है। पुरूष की यह कोशिका महिला के अंडाणु (Egg) को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इस प्रकार कोई बच्चा इस दुनिया में आता है।
स्पर्म डोनेशन क्या है? (Sperm Donation in Hindi)
स्पर्म डोनेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पुरूष के स्पर्म को भविष्य के लिए संभालकर रखा जाता है और उसका उपयोग उस महिला के लिए किया जाता है, जिसका जीवनसाथी किसी कारण से बच्चे को जन्म नहीं दे पाता है।
स्पर्म डोनेशन की विशेषता? (Characteristic of sperm donation – in Hindi)
- यह काफी पुण्य का काम है, क्योंकि इससे एक परिवार बनता है।
- आपके इस फैसले से किसी की जिदगी बदल सकती है।
- इससे आप पैसे भी कमा सकते हैं।
- स्पर्म डोनेशन करने का मुख्य उद्देश्य नि: संतान दंपत्तियों को संतान सुख देना है। उदाहरण के लिए वह महिला, जो गर्भधारण के लिए पुरूष नहीं चाहती है।
- स्पर्म डोनर के रूप में आप अपने स्पर्म को डोनेट कर सकते हैं ताकि इससे उन दंपत्तियों की सहायता हो सके, जो किन्हीं कारणों से गर्भधारण करने में सक्षम नहीं हैं।
- इसके साथ, अगर आप अपने शुक्राणु को स्पर्म बैंक में दान करना चाहते हैं, तो वहां पर आपके स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने के बाद आपको पैसे भी दिए जाएगें।
स्पर्म डोनेट कैसे किया जाता है? (How Sperm donation is done? – in Hindi)
- शुक्राणु के नमूने देने से पहले, डोनर को 2 से 5 दिनों के लिए किसी भी तरह की यौनिक क्रियाओं को न करने के लिए कहा जाता है।
- इस नमूने को डिब्बे में लिया जाता है। उस नमूने को काइरोप्रेसरेटिव सॉल्यूशन (cryopreservative) की सहायता से जमाया जाता है और यह लगभग छह महीनों के लिए सही रहता है।
- संक्रमणित बीमारी जैसे एचआईवी का पता लगाने के लिए मरीज की फिर से जांच की जाती है और अगर फिर भी इसका परिणाम सही नहीं आता है तो फिर जमे हुए नमूने को पिघला जाता है और उसकी जांच शुक्राणु की गुणवता, मात्रा और गतिशीलता का पता लगाने के लिए की जाती है।
- ऐसा फिर से इसलिए किया जाता है क्योंकि कुछ पुरूषों से लिए गए शुक्राणु के नमूनों के जमने की प्रक्रिया के दौरान खराब होने की अधिक संभावना होती है।
- अगर वीर्य के नमूने गुणवत्ता के मानकों पर खरे उतरते हैं तो उस पुरूष को स्पर्म डोनर के लिए चुन लिया जाता है।
अगर स्पर्म डोनर यह फैसला लेता है कि वह दान कार्यक्रम (डोनर प्रोग्राम) को छोड़ना चाहता है तो उसे अपने पिछली बार किए गए दान के 6 महीने बाद संक्रमित बीमारी की जांच करानी होती है।
स्पर्म को कैसे डोनेट करें ? (How to Donate Sperm? – in Hindi)
जब भी आप स्पर्म को डोनेट करने के बारे में सोचते हैं तब उसके लिए आपको सही अस्पताल या क्लीनिक की तलाश इंटरनेट या अन्य तरीकों से करनी होती है ।
जब आपकी यह तलाश पूरी हो जाती है तब आपको वहां पर आपको निम्नलिखित जांचों से गुजरना होता है:
1. शारीरिक जांच (Physical examination)
- स्पर्म डोनर को शारीरिक जांच में पूरी तरह से स्वस्थ होना चाहिए।
- उसकी उम्र 18 से 39 साल के बीच होनी चाहिए।
- उसकी ऊंचाई सामान्य पुरूष की ऊंचाई से अधिक होनी चाहिए।
- उसके खून और पेशाब के नमूनों को एकत्रित किया जाता है ताकि किसी भी तरह के संक्रमण और अनुवांशिक रोग (जेनेटिक डिसऑर्डर) का पता लगाया जा सके।
- अगर वह स्पर्म डोनर (Sperm Donor) बन जाता है, जो उसकी शारीरिक जांच प्रत्येक छह महीनों में की जाती है ताकि उसके स्वस्थ शुक्राणु (हेल्थी स्पर्म) पर निगरानी रखी जा सके।
2. वीर्य विश्लेषण (Semen analysis)
- वीर्य (Semen) की जांच शुक्राणु की गुणवत्ता, मात्रा और गतिशीलता का पता करने के लिए किया जाता है।
- परिवार का चिकित्सा इतिहास (मेडिकल हिस्ट्री): स्पर्म डोनर को अपने परिवार या फिर अपने परिवार की कम-से-कम दो पीढ़ियों की मेडिकल हिस्ट्री बतानी चाहिए।
- अगर इससे किसी अनुवांशिक रोग का पता चलता है, तो फिर स्पर्म डोनर, स्पर्म डोनेट नहीं कर सकता है।
3. मनोवैज्ञानिक मूल्याकंन (Psychological evaluation)
- इसमें स्पर्म डोनर की जानकारी का मूल्याकंन किया जाता है, जो वह बॉयोलाजिक बच्चे के लिए देता है, जिसका जन्म उसके स्पर्म का उपयोग करके होता है।
- उसे इस बात के लिए अपनी सहमति देनी होती है कि वह भविष्य उस बच्चे से कोई संबंध नहीं रखेगा, जिसका जन्म उसके स्पर्म से होगा।
4. निजी और यौनिक इतिहास (Personal and sexual history)
- इसमें डोनर की यौनिक गतिविधियों, सेवन की गई दवाई या अन्य किसी निजी जानकारी ली जाती है, जिससे किसी भी तरह की संक्रमित बीमारी की संभावना का संकेत मिलता है।
- उनकी आदतों, शिक्षा, शौक और हॉबिज पर भी ध्यान दिया जाता है।
अगर स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दौरान संभावित डोनर की जांच के परिणाम सकारात्मक आते हैं तो उसे इसकी सूचना दी जाती है और उसे इलाज के लिए विशेषज्ञ से पास भेजा जाता है, इसके साथ में जब तक उसका इलाज पूरा नहीं हो जाता है तब तक वह स्पर्म डोनेट नहीं कर सकता है।
स्पर्म डोनर कैसे चुनें? (How to select Sperm Donor? In Hindi)
आमतौर पर, स्क्रीनिंग की प्रक्रिया में 8 हफ्तों से 6 महीने का समय लगता है, जो मुख्य रूप से स्पर्म बैंक पर निर्भर करता है।
अगर आप पर की गई सभी जांचों के परिणाम संतोषजनक आते हैं, तब आपको एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे आपको भरना होता है और इसके बाद आपको इस नेक काम के लिए चुन लिया जाता है।
दिल्ली-NCR में स्पर्म डोनेशन की कितनी लागत है? (Cost of Sperm Donation in Delhi NCR)
जब स्पर्म डोनेशन कराने की बात आती है, तो इसके लिए भारत में दिल्ली से बेहतर और कोई जगह हो नहीं सकती। भारत की राजधानी होने के कारण, दिल्ली में स्पर्म डोनेशन के लिए सबसे अच्छे अस्पताल और डॉक्टर मौजूद हैं।
जब कोई पुरूष स्पर्म डोनेशन का निर्णय लेता है, तो उसके मन में सबसे पहला प्रश्न इसकी लागत को लेकर आता है। तो आइए, जानते हैं कि स्पर्म डोनेशन की कितनी लागत होती है? औसतन रूप से स्पर्म डोनेशन की लाग 2,000 से 5,000 प्रति एक बार स्पर्म डोनेशन होती है।
स्पर्म डोनेशन की लागत कई तरह के तत्वों पर निर्भर करती है, जो इस प्रकार हैं-
पुरूष का स्वास्थ- डॉक्टर स्पर्म डोनर बनने की अनुमति केवल उसी पुरूष को देते हैं, जो पूरी तरह से स्वस्थ होता है।
क्लीनिक या अस्पताल- स्पर्म डोनेशन की लागत क्लीनिक या अस्पताल पर भी काफी निर्भर करती है।
जगह- स्पर्म डोनेशन की लागत इसे कराने वाली जगह पर भी निर्भर करती है।
स्पर्म डोनेशन का तरीका- स्पर्म डोनेशन की लागत इसे करने के तरीके पर काफी हद तक निर्भर करती है।
स्पर्म डोनेशन के कौन-कौन से नुकसान होते हैं? (Side-Effects Of Sperm Donation – In Hindi)
- यह आपकी जिदगी को पूरी तरह से बदल देता है क्योंकि आपको कई बार स्पर्म डोनेट करना पड़ता है।
- अपने स्पर्म की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आपको बहुत सारे टेस्ट कराने होते हैं, जो आपकी यौनिक क्षमता को प्रभावित करते हैं।
- स्पर्म डोनेट करने की अपनी समय-सीमा होती है, जिसका अर्थ है कि आप एक सीमा तक ही स्पर्म डोनेट कर सकते हैं।
- चूंकि, इसे समाज ने पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है, तो ऐसे में आपको बहुत सारी सामाजिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।
- इस काम के लिए अपने परिवार को राज़ी करना सबसे बड़ी चुनौती है।
कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो केवल बड़ी-बड़ी बाते और हालात को कोसते हैं, लेकिन उसे बदलने के लिए कुछ भी नहीं करते हैं तो वही दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरो लोगों से हट कर कुछ नया काम करना चाहते हैं। उन्हें जरूरतमंद लोगों की मदद करने में खुशी मिलती है और वे उनकी मदद करने के किसी भी मौके को हाथ से नहीं जाने देते हैं।
स्पर्म डोनेशन (Sperm Donation) भी ऐसा ही काम है, जिससे किसी की जिदगी बदल जाती है और उसका संतान सुख का सपना पूरा हो जाता है। जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि आज कल की असंतुलित भरी ज़िदगी के कारण लोगों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उन्हीं में बच्चा न होना भी एक अहम समस्या है।
बच्चा न होने को मेडिकल भाषा में निसंतान कहा जाता है। बच्चा न होने की समस्या विश्व स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी तेज़ी से फैल रही है। इसके बावजूद सौभाग्यवश ऐसे कई सारे माध्यम मौजूद हैं, जिसके माध्यम से बच्चे की प्राप्ति की जा सकती है। इन्हीं माध्यमों में से एक स्पर्म डोनेशन भी है।
स्पर्म डोनेशन का प्रचलन युवाओं में काफी अधिक है और उनके मन में इसे लेकर काफी उत्सुकता भी बढ़ रही है। लेकिन, स्पर्म डोनेशन की अधूरी जानकारी उन्हें खतरे में डाल रही है। अत: समझदारी इसी में है कि स्पर्म डोनर बनने से पहले स्पर्म डोनेशन की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली जाए।
यदि आप या आपकी जान-पहचान में कोई व्यक्ति स्पर्म डोनेशन (Sperm Donation) करना चाहता है तो इसे करने से पहले विशेषज्ञ से मिलें और उनके निर्देश अनुसार ही स्पर्म डोनेट करें।
इसके साथ में यदि वह गर्भावस्था के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो वह इसके लिए 08448398633 पर Call करके इसकी मुफ्त सलाह प्राप्त कर सकता है।
सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’S)
Q1 स्पर्म को कहां डोनेट किया जा सकता है?
Ans- स्पर्म डोनेशन का काम मुख्य रूप से फर्टिलिटी सेंटर में किया जाता है।
यहां पर डोनर से कप में अपने स्पर्म को निकालने को कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर किया जाता है।
Q2. भारत में स्पर्म डोनेट करने पर कितने पैसे मिलते हैं?
Ans- वर्तमान समय में, भारत में स्पर्म बैंक पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं।
इनमें स्पर्म डोनेट की कीमत अलग-अलग होती है।
यदि केवल दिल्ली-NCR की बात जाए तो यहां पर 2-5 हजार प्रति स्पर्म डोनेट करने की कीमत रहती है।
Q3. स्पर्म को कैसे डोनेट किया जाता है?
Ans- स्पर्म को डोनेट करने से पहले डोनर का मेडिकल चेकअप किया जाता है, इसके बाद उसके स्पर्म को फ्रीज में रखा जाता है।
इस स्पर्म का इस्तेमाल ऐसी स्थिति में किया जाता है, जब किसी दंपत्ति को बच्चा नहीं हो पाता है।
Q4. क्या हर रोज़ स्पर्म डोनेट किया जा सकता है?
Ans- जी नहीं, किसी भी पुरूष के लिए स्पर्म को सीमित मात्रा में ही डोनेट कर सकता है।
इस कारण, उसके लिए हर रोज़ स्पर्म डोनेट करना खतरनाक साबित हो सकता है।
Q5. डोनर स्पर्म का इस्तेमाल कब किया जाता है?
Ans- डोनर स्पर्म का इस्तेमाल मुख्य रूप से आईवीएफ प्रक्रिया में किया जाता है, जिसमे डोनर स्पर्म और महिला के अंडाणु को प्रयोगशाला में मिलाकर भ्रूण का निर्माण करके उसे मां बनने की इच्छुक महिला के गर्भ में डाला जाता है।
Q6. क्या डोनर स्पर्म का इस्तेमाल करना सुरक्षित होता है?
Ans- जी हां, डोनर स्पर्म का इस्तेमाल करना पूरी तरह से सुरक्षित होता है।
चूंकि, स्पर्म डोनेट करने की अनुमित सेहतमंद पुरूषों को ही दी जाती है, इसलिए उनके स्पर्म के खराब होने की संभावना काफी कम होती है।
Q7. स्पर्म डोनेशन के साइड-इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं?
Ans- हालांकि, स्पर्म डोनेशन का लाभ काफी सारे युवाओं को मिलता है, इसके साथ-साथ डोनर स्पर्म निसंतान दंपत्तियों को मां-बाप बनने का सुख देने में भी सहायक साबित होता है।
इसके बावजूद, इसके कुछ साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं, जिनकी जानकारी स्पर्म डोनेट करने वाले लोगों को होनी चाहिए।
इस प्रकार, स्पर्म डोनेट करने वाले पुरूष को ज़िदगी का पूरी तरह से बदल जाना, सेक्स इच्छा पर असर पड़ना, पारिवारिक दबाव होना इत्यादि साइड-इफेक्ट्स से गुजरना पड़ता है।
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