T.B in Hindi
Medicine in Hindi | Posted by 365Doctor | 22-07-2023 | Comments
क्या है टी.बी, कैसे करें उपचार? (T.B in Hindi)
टी.बी. (T.B) की वजह से हर साल कई सारे लोगों की मौत हो जाती है। लिवमिंट (Livemint) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में टी.बी के सबसे अधिक मामलें भारत में दर्ज किए जाते हैं। भारत में लगभग 27.9 लोग टी.बी के मरीज हैं, जिनमें से 4.23 लोगों की मौत सही इलाज न मिलने की वजह से हो जाती है। ये आकंडें टी.बी की गंभीर स्थिति को बयां करने के लिए काफी हैं लेकिन, इसके बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों में इस बीमारी को लेकर काफी सारी गलतफहमियां हैं।
ऐसा मुख्य रूप से इस बीमारी की जानकारी की कमी के कारण होता है। अत: यह जरूरी है कि लोगों को टी.बी की आवश्यक जानकारी दी जाए ताकि वे इसके प्रति जागरुक रह सकें और यदि कभी उन्हें यह बीमारी हो जाती है तो उस स्थिति में वे इसका सही तरीके से इलाज करा सकें। यदि आप भी टी.बी की पूरी जानकारी से अनजान हैं तो आपको इस लेख को जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि हमने इस लेख में इससे संबंधित आवश्यक जानकारी देने की कोशिश की है।
क्या है टी.बी? (What is T.B? – in Hindi)
टी.बी का पूरा नाम ट्यूबरकुलोसिस है, जिसका तात्पर्य ऐसी संक्रमित बीमारी से है, जो मायकोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सीधा असर पुरूष के फेफड़ों पर पड़ता है और यदि उसका इलाज सही समय पर न किया जाए तो इसकी वजह से व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
टी.बी के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of T.B in Hindi)
किसी भी अन्य बीमारी की तरह टी.बी के भी अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इसकी शुरूआत का संकेत देते हैं।
अत: यदि किसी व्यक्ति को ये 5 लक्षण नज़र आते हैं तो उसे इन्हें नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत अपने स्वास्थ की जांच करानी चाहिए-
1- खांसी का तीन या उससे अधिक हफ्तों तक रहना- यह टी.बी का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को लंबे समय तक खांसी रहती है।
यदि किसी व्यक्ति को खांसी तीन या उससे अधिक हफ्तों तक रहती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और अपने स्वास्थ की अच्छी तरह से जांच करानी चाहिए।
2- खांसी में खून का आना– अक्सर, ऐसा देखा गया है कि टी.बी से पीड़ित व्यक्ति को खांसी में खून आता है।
ऐसा होने पर व्यक्ति को बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए और इसका इलाज शुरू कराना चाहिए।
3- सीने में दर्द होना- टी.बी का अन्य लक्षण सीने में दर्द होना भी है।
आमतौर पर, लोग इस समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन उनका ऐसा रवैया उन्हें टी.बी जैसी किसी गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है।
4- थकान महसूस होना- अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि टी.बी का शारीरिक क्षमता पर सीधा असर पड़ता है।
अत: इससे पीड़ित व्यक्ति किसी भी काम को ज्यादा देर तक नहीं कर पाता है और वह जल्द ही थक जाता है।
5- बुखार होना- हो सकता है कि कुछ लोगों को इस बात पर भरोसा न हो लेकिन सच यह है कि यदि किसी व्यक्ति को बार-बार बुखार होता है, तो यह टी.बी का लक्षण हो सकता है।
इसी कारण बुखार से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही तरीके से कराना चाहिए ताकि उसे टी.बी जैसी कोई गंभीर बीमारी न हो।
टी.बी के कारण क्या हैं? (Causes of T.B in Hindi)
टी.बी की बीमारी मुख्य रूप से ऐसे लोगों को होती है, जो निम्नलिखित समस्याओं से पीड़ित होते हैं-
कमजोरी रोग-प्रतिरोधक क्षमता का होना- ऐसा माना जाता है कि शख्स की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह उसे बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाती है।
इसी कारण टी.बी की बीमारी के होने की संभावना उस व्यक्ति में अधिक रहती है जिसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
डायबिटीज से पीड़ित होना- यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी है तो उसे टी.बी की बीमारी होने की संभावना काफी अधिक रहती है।
अत: डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए और इसका पूरा इलाज कराना चाहिए ताकि उसे कोई गंंभीर समस्या न हो।
किडनी की बीमारी से ग्रस्त होना- अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि टी.बी की बीमारी ऐसे लोगों में अधिक होती है, जो किडनी की बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
इसी कारण ऐसे लोगों को अपनी किडनी की बीमारी का इलाज सही तरीके से कराना चाहिए।
किसी प्रकार के संक्रमण के संपर्क होना- ऐसी बहुत सारी बीमारियां होती हैं, जो मुख्य रूप से किसी प्रकार के संक्रमण के संपर्क में आने की वजह से होती है।
इनमें टी.बी में शामिल है, जो ऐसे लोगों को होती है, जो एचआईवी एड्स या किसी अन्य संक्रमण के कारण होती है।
कुपोषण का शिकार होना- टी.बी की बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है, जो कुपोषण के शिकार होते हैं।
अत: ऐसे लोगों को अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कुपोषण का सही इलाज कराना चाहिए।
टी.बी का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Treatments of T.B in Hindi)
आमतौर पर, टी.बी को एक लाइलाज बीमारी समझा जाता है, इसी कारण वे इससे निजात नहीं पा पाते हैं।
लेकिन, यदि उन्हें यह पता होता कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह टी.बी का भी इलाज संभव है, जिसे इन 5 तरीकों से किया जा सकता है, तो वे भी बेहतर ज़िदगी जी पातें-
1- ब्लड टेस्ट कराना- यह टी.बी का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है, जिसमें व्यक्ति का ब्लड टेस्ट किया जाता है।
इस टेस्ट के द्वारा इस बात का पता लगया जाता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में टी.बी किस स्तर तक बढ़ गई है।
2- एक्स-रे कराना- कई बार टी.बी का इलाज एक्स-रे के द्वारा भी किया जाता है।
इस स्थिति में शख्स की छाती का एक्स-रे किया जाता है और यह पता लगया जाता है कि टी.बी की वजह से उसकी छाती कितनी खराब हो चुकी है।
3- दवाई लेना- अक्सर, डॉक्टर टी.बी का इलाज कराने के लिए व्यक्ति को कुछ दवाईयां देते हैं।
ये दवाईयां मानव-शरीर में टी.बी के टिशू को नष्ट करने में सहायता करती हैं और इसके साथ में ये टी.बी शरीर के अन्य अंगों में न फेले।
4- आयुर्वेदिक इलाज कराना- वर्तमान समय में आयुर्वेदिक इलाज काफी लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह काफी सारी बीमारी को ठीक करने में कारगर भूमिका निभाता है।
इसी कारण टी.बी से पीड़ित व्यक्ति इस बीमारी का इलाज कराने के लिए आयुर्वेदिक तरीके को अपना सकता है।
5- होम्योपैथिक इलाज कराना– लोगों में होम्योपैथिक को लेकर विश्वसनीयता काफी बढ़ गई है।
वह एलोपेथिक की बजाय होम्योपैथिक को चुनना ज्यादा बेहतर समझते हैं क्योंकि इसके जोखिम काफी कम होते हैं। अत: टी.बी से ग्रस्त व्यक्ति होम्योपैथिक के माध्यम से अपना इलाज करा सकता है।
टी.बी के जोखिम क्या हो सकते हैं? (Complications of T.B in Hindi)
ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी बीमारी को नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि वह समय के साथ घातक रूप ले सकती है।
यह बात टी.बी पर भी लागू होती है कि यदि कोई व्यक्ति टी.बी का इलाज सही समय पर नहीं कराता है, तो उसे निम्नलिखित जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है-
रीढ़ की हड्डी में दर्द होना- यह टी.बी का प्रमुख लक्षण है जिसमें व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में दर्द होता है।
हालांकि, यह समस्या व्यायाम के द्वारा ठीक हो सकती है, लेकिन यदि लंबे समय तक रहे तो इसका इलाज रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की जरूरत होती है।
लीवर या किडनी संबंधी समस्याओं का होना- कई बार, टी.बी की वजह से व्यक्ति को लीवर या किडनी संबंधी समस्याएं भी हो सकती है।
हालांकि, इनका इलाज संभव है, लेकिन फिर भी यह लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।
मेम्ब्रेन में सूजन का होना- विशेषज्ञों के अनुसार टी.बी का असर व्यक्ति के मस्तिष्क पर भी पड़ता है।
इसी कारण जब टी.बी का इलाज काफी समय तक नहीं होता है, तो इसकी वजह से मेम्ब्रेन पर सूजन आ जाती है और फिर इससे मस्तिष्क की नस के फटने का खतरा भी बढ़ जाता है।
फेफड़ों का खराब होना- अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि टी.बी की वजह से लोगों के फेफड़े भी खराब हो जाते हैं।
यह स्थिति किसी भी शख्स के लिए घातक साबित हो सकती है और इसकी वजह से उसकी जान भी जा सकती है।
मौत होना- यह टी.बी का सबसे बड़ा खतरा है कि जब टी.बी अपने अंतिम चरण तक पहुंच जाता है तो उस स्थिति में इलाज का कोई भी खतरा कारगर साबित नहीं होता है।
इस प्रकार, टी.बी लोगों की मौत का कारण बन जाती है।
टी.बी की रोकथाम कैसे की जा सकती है? (Precautions of T.B in Hindi)
हालांकि, टी.बी विश्वभर में लोगों की मौत का तीसरा बड़ा कारण है और इसके अलावा टी.बी के मरीजों को काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, इसके बावजूद राहत की बात यह है कि यदि लोग कुछ सावधानियों को बरतें तो वे टी.बी की संभावनाओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
यदि कोई व्यक्ति इन 5 बातों का पालन करे, तो वह टी.बी की रोकथाम कर सकता है-
1- खांसते या झींकते समय रूमाल या टिशू का इस्तेमाल करना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि टी.बी की बीमारी संक्रमण की वजह से होती है।
इसी कारण सभी लोगों को खांसते या झींकते समय रूमाल या टिशू का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उनके नाक से निकले वायरस किसी दूसरे व्यक्ति को न पहुंचे और उसे किसी तरह की बीमारी न हो।
2- खांसने या झींकने के बाद हाथों को अच्छे से धोना- ऐसा माना जाता है कि यदि हमारे हाथ साफ नहीं होते हैं तो इसकी वजह से हम बीमार हो सकते हैं।
अत: हम सभी को अपने हाथों को साफ रखना चाहिए और खांते या झींकते के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए ताकि हमें किसी भी प्रकार की बीमारी न हो।
3- सभी टीकों को समय-समय पर लगवाना- चूंकि, वर्तमान समय में काफी सारी बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि इन सभी बीमारियों के लिए कई सारे टीके मौजूद हैं, जो लोगों को बीमार होने से बचा सकते हैं। सभी लोगों को टीकों को समय-समय पर लगवाना चाहिए ताकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रही और वे स्वस्थ रहें।
4- पौष्टिक भोजन करना- ऐसा माना जाता है कि हमारे खानपान का हमारे स्वास्थ पर सीधा असर पड़ता है।
यह बात टी.बी पर भी लागू होती है क्योंकि ऐसे कई सारे मामले देखते को मिलते हैं, जिनमें टी.बी का कारण अपौष्टिक भोजन होता है। अत: सभी लोगों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और केवल पौष्टिक भोजन ही करना चाहिए।
5- डॉक्टर के संपर्क में रहना- यह ऐसी चीज है कि जिसका पालन सभी लोगों को करना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति का टी.बी का इलाज चल रहा है तो उसे तब तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए जब तक वे उसे पूरी तरह से सेहतमंद घोषित न कर दें।
हालांकि, टी.बी (T.B) के नाम से सभी लोग अवगत रहते हैं, लेकिन फिर भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं,जिन्हें टी.बी की सही जानकारी नहीं है। इसी कारण हर साल विश्वभर में टी.बी के मरीजों की तादात बढ़ती जा रही है। इस बात की पुष्टि होती है कि हर साल 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस (World Tuberculosis Day) के रूप में मनाया जाता है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए किया जाता है ताकि लोगों में टी.बी के प्रति जागरूकता बढ़ सके। इस प्रकार हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा क्योंकि इसमें हमने टी.बी से संबंधित आवश्यक जानकारी देने की कोशिश की है।
यदि आप या आपकी जान-पहचान में कोई व्यक्ति किसी बीमारी और उसके उपचार के संभावित तरीकों की अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो वह इसके लिए +91-8448398633 पर Call करके उसकी मुफ्त सलाह प्राप्त कर सकता है।
सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’S)
Q1. क्या टी.बी जानलेवा साबित हो सकती है?
Ans- जी हां, यदि टी.बी का इलाज समय रहते न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
Q2. टी.बी के कारण क्या हैं?
Ans- टी.बी की बीमारी मुख्य रूप से बैक्टीरिया, भरपूर मात्रा में भोजन न करना, किसी तरह की बीमारी से पीड़ित होना इत्यादि से हो सकती है।
Q3. टी.बी के स्तर कितने हैं?
Ans- टी.बी को मुख्य रूप से 4 स्तरों-1. टी.बी के लक्षणों का नज़र आना, 2. टी.बी की जांच करना, 3. टी.बी का फेफड़ों तक फैलना, 4. व्यक्ति की मौत या व्यक्ति का ठीक होना- में बाँटा जा सकता है।
Q4. टी.बी की पहचान कैसे की जा सकती है?
Ans- टी.बी की पहचान करने के लिए काफी सारे टेस्ट जैसे एक्स-रे, ब्लड टेस्ट, इत्यादि से की जा सकती है।
Q5. क्या टी.बी से पीड़ित व्यक्ति के आस-पास रह सकते हैं?
Ans- इस बात का ध्यान रखना काफी जरूरी है कि टी.बी की बीमारी मुख्य रूप से कीटाणु से फैलती है। ऐसे में टी.बी से पीड़ित व्यक्ति संक्रमक नहीं होता है, लेकिन इसके बावजूद, ऐसे लोगों को खांसते या छींकते समय अपने मुंह पर रूमाल या कपड़ा लगाना चाहिए ताकि यह बीमारी अन्य लोगों तक न फैले।
Q6. टी.बी से पीड़ित व्यक्ति को कितने समय के लिए एंकात वार्ड (isolation ward) में रखना चाहिए?
Ans- जैसे ही किसी व्यक्ति के टी.बी से पीड़ित होने की पुष्टि होती है, वैसे ही डॉक्टर उसका इलाज शुरू कर देते हैं। इस प्रकार, ऐसे लोगों को तब तक एंकात वार्ड में रखा जाता है, जब तक वे पूरी तरह से ठीक न हो जाए।
Q7. टी.बी का इलाज न कराने का परिणाम क्या हो सकता है?
Ans- किसी भी अन्य बीमारी की तरह टी.बी का इलाज न कराने का भी परिणाम गंभीर हो सकता है। ऐसी स्थिति में इससे पीड़ित लोगों को रीढ़ की हड्डी में दर्द होना, फेफड़ों का खराब होना, किडनी या लीवर संबंधी समस्या होना इत्यादि जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
Comments
Be the first to post a comment